सीख


 ऊँचे घने वृक्षों की छाया में चलते,

जब तुम सूर्य की रोशनी की और चलोगी,

जब तुम्हारे पाँव धूप पर पड़ी सुखी पत्तियों पर पड़ेंगे,

वही समय होगा,

जब तुम एक लड़ाई जीत लोगी। 


जिस अंधकार से तुम्हें घृणा थी,

वह एक प्रिय मित्र की तरह,

तुम्हारे आने वाले जीवन का मार्गदर्शक बनेगा।


तुम्हारे जीवन संवाद एक संतुलन के अंतर्गत होंगे,

जिसमें कठोरता और कोमलता का मिश्रण होगा। 


तुम जैसे ही वही ऊँचे वन के अन्धकार में,

खुद को फिर से पाओगी,

तुम्हें एहसास होगा,

अन्धकार और रौशनी,

दोनों जीवन में पर्याप्त होने चाहिए। 


तुम जैसे ही इस स्तिथि का मनोविश्लेषण करोगी,

सभी चिंताएं, भय, विरोध,

जो तुमने खुद को भेंट किए थे,

वह धीरे- धीरे तुमसे छूटते चले जाएँगे। 




Comments

Popular posts from this blog

मुझे अभी दूर जाना है - गोपाल

हम फिर मिलेंगे

आधी तुम