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Showing posts from 2013

मुस्कान

तेरे चेहरे की मुस्कान देखने के लिए ही में तेरी तारीफ करता हूँ, इस मुस्कान की कोई ओर तारीफ न करदे इसलिए इस प्यारी सी मुस्कान से  कभी कभी में डरता हूँ ! तेरी इस मुस्कान को देखने के लिए ही हम जी रहे है, इस मुस्कान की कभी दुःख में न बदलना, हमारे जीने का मकसद खत्म हो जायेगा ! ध्यान रखना की ये मुस्कान कहीं हमे दीवाना न कर जाये, अगर इस मुस्कान के हम दीवाने हो गए तो, कहीं हमे ये मुस्कान दुनिया से बेगाना न कर जाये ! हम आपको भूलने की कोशिश करे तो ये मुमकिन हो सकता है, पर ये आपकी मुस्कान ही है, जो हमे आपकी याद दिलाती रहती है ! तेरी यह मुस्कान ही है जिसे देखकर हम खुश रहते है, वरना ये जालिम दुनिया कब का हमे दुःख की लपटों में लपेट चुकी होती ! यह मुस्कान ही है जो पतझड़ में सावण ला सकती है, यह मुस्कान ही है जो बारिश की बूंदों को सीप का मोती बना सकती है ! यह मुस्कान के जरिये ही तो में हँसता हूँ, यह मुस्कान कहीं खो न जाये इसी बात से में कभी कभी डरता हूँ, तेरे चेहरे की मुस्कान देखने के लिए ही में तेरी तारीफ करता हूँ  !!!

दीवानगी

एक मेला था दीवानगी का, जिसने हर किसी को प्यार में डुबोया, एक मेला था दीवानगी का, जिसने हर किसी को प्यार में डुबोया, एक आंधी आई उसे उड़ा ले गयी, एक आंधी आई उसे उड़ा ले गयी, वहां मोजूद हर शख्स को उसने प्यार में रुलाया !!

आरज़ू

एक आरज़ू है जीवन में एक लड़की से हम प्यार करेंगे, आवाज़ में जिसकी सुरूर हो उस लड़की की आस करेंगे, एक आरज़ू है जीवन में एक लड़की से हम प्यार करेंगे ! धूप में जो चलना सीखा दे, बिन हवा के उड़ना, कली को जो फूल बना दे, काँटों को पड़ जाये झडना, एक आरज़ू है जीवन में एक लड़की से हम प्यार करेंगे ! जिसे एक नज़र देखले वो, मरने के बाद वो स्वर्ग ही पाए, मुस्कान उसकी देखकर वसंत आ जाये, सूखीं हुई शाखायों हरी भरी हो जाये, एक आरज़ू है जीवन में एक लड़की से हम प्यार करेंगे ! उसके कदमो की कोमल आहट, गहरी नींद में भी जगाए, मुस्कान उसकी देखकर तारे भी घिर जाये, बस यही आरज़ू है जीवन में एक एसी लड़की से प्यार करेंगे ! चाँद भी उसे देखकर शरमाये, मुरझाए फूलों में खुशबू भर जाये, जहाँ जाये रोशन करदे वो समां, हर कोई उसे देखे और देखता ही रह जाये, बस यही आरज़ू है जीवन में एक एसी लड़की से प्यार करेंगे ! एक आरज़ू है जीवन में एक लड़की से हम प्यार करेंगे,

Gulzar - A Heart Touching Poetry

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पडी हैं वो रात बुझा दो , मेरा वो सामान लौटा दो   पतझड़ हैं कुछ , हैं ना... पतझड़ में कुछ पत्तों के गिरने की आहट कानों में एक बार पहन के लौटाई थी पतझड़ की वो शांख अभी तक काँप रही हैं वो शांख गिरा दो , मेरा वो सामान लौटा दो   एक अकेली छत्री में जब आधे आधे भीग रहे थे आधे सूखे , आधे गिले , सुखा तो मैं ले आयी थी गिला मन शायद , बिस्तर के पास पडा हो वो भिजवा दो , मेरा वो सामान लौटा दो   एक सौ सोलह चाँद की रातें , एक तुम्हारे काँधे का तील गीली मेहंदी की खुशबू , झूठमूठ के शिकवे कुछ झूठमूठ के वादे भी , सब याद करा दो सब भिजवा दो , मेरा वो सामन लौटा दो   एक इजाजत दे दो बस जब इस को दफ़नाऊँगी   मैं भी वही सो जाऊँगी