कल एक रात आई थी
कल एक रात आई थी,
वो रात एक बात लायी थी,
उस बात में तुम्हारी बात थी,
कुछ अफ़सोस भरी, पुरानी यादें भरी,
बड़ी अजीब सी वो रात थी...!
चाँद था,
पर बादलों के पीछे,
हम तुम्हे याद कर रहे थे,
पर आंसुओं के नीचे,
तुम्हारा चेहरा देख रहे थे,
पर आँखें मीचे.
हमारा मन लिए जा रही वो पीछे पीछे...!
उस रात का जिक्र किससे करें,
तुम्हारी लिए हुई बेचानी की फ़िक्र किससे करें,
न जाने कल वो अजीब रात क्यों आई थी,
और तुम्हे अपने साथ क्यों लाई थी..!
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