कवि तीन प्रकार के होते है


कवि तीन प्रकार के होते है 

विद्रोही, दार्शनिक और प्रेमी 

मंटो लिखे तो विद्रोह 

कामू लिखे तो दर्शन 

और बटालवी लिखे तो प्रेम 

उपाधि इन्हें कवि की ही मिलती है 

यह तीनों जोड़ है तिपहिया वाहन के

ढो लेते है कितनी भावनाएँ इधर-उधर


कवि होना चमत्कार नहीं है 

जैसे वृक्ष हरा ही होता है 

पर्वत ऊँचा, सागर गहरा 

इंसान होता ही है कवि 

शब्दकोष मन में रखना भी तो कविता है

जैसे माँ रसोई में पड़ी गर्म तेल की छींट का दर्द रखती है मन में 

जैसे पिता रख लेते है व्यापार के घाटे का क्रोध मन में 

जैसे भूख में पले प्रेमी, रखे रहते है विरह का शोक मन में 


हम सब कवि ही तो है 

कुछ कविताएँ लिख रहे है और कुछ जी रहे है

ईश्वर, प्रेत, डाकू, सरकार, दर्शन, प्रेम, इतिहास, आदि

सब लिख लेते है कवि 


कवि, सब कर सकता है 

पर नहीं कर सकता वह ढोंग 

प्रेम का, दर्शन का और विद्रोह का 

उसे इन तीनों में से एक गुण में उतरना पड़ता है 

तभी लिख सकता है वह प्रेम में किए गए विद्रोह के दर्शन 

और कहलाया जाता है कवि

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