हम फिर मिलेंगे
चाँद आधा जब पूर्ण की और चल देगा सूर्य जब सवेर को खिलने का बल देगा हम वहाँ भोर में फिर मिलेंगे तुम आना एक डब्बा दाना लेकर मैं ले आऊंगा भूखे पक्षी कुछ जब तक वह उन्हें चुगेंगे छठ रही ओस में हम फिर मिलेंगे केतली यादों की मैं लाऊँगा कप और बातें तुम ले आना आधा आधा कप साथ भरेंगे अरसों बाद चाय पर फिर मिलेंगे रौशनी भूखी जब तारे खा जाएगी काम निपटा चुकी माँ जब उठने की डाँट लगाएगी बस अभी उठ गए का जब झूठा वादा करेंगे पौने जगे सपनों में हम फिर मिलेंगे