घर क्या है?
जीवित कोई नदी
शांत सागर में बिन सड़क बने पहुँच रही हो
वह घर है
अनसुनी प्रतिभा, उपहास से उलझ कर
विश्व प्रसिद्धि में पहुँच रही हो
वह घर है
स्त्री की देह, दुर्बल नर की लठ से नहीं
प्रेम की हठ से पहुँच रही हो
वह घर है
रात की नींद शारीरिक थकान से नहीं
दिन के आभार और नए सूर्य की स्वीकृति से पहुँच रही हो
वह घर है
आस्था हमारी अप्राकृतिक कार्यों को ख़ारिज कर
समता में पनप रहे जीवन दर्शन से हम तक पहुँच रही हो
वह घर है
विभिन्न शैली की पुस्तकें
अनावश्यक वस्त्रों को त्याग आप तक पहुँच रही हो
वह घर है
मृत्यु किसी भय से नहीं
मधुर और संतुष्ट हास्य से लिपट कर पहुँच रही हो
वह घर है
❤️
ReplyDelete❤️
ReplyDeleteBohot khoob 👍
ReplyDeleteअविश्वसनीय
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