साधन हो तुम
क्रोध से भरी भीड़
में अमन का साधन हो तुम
चक्रव्यूह में लड़ते अभिमन्यु
के साहस का साधन हो तुम
देशों में चलती आ रही लंबी लड़ाई
की सुलह का साधन हो तुम
मेरे भीतर उठ रहे विवादों
को संवाद देने का साधन हो तुम
हर क्षण घट रही मृत्यु
को जीवन देने का साधन हो तुम
घृणा में भटक रहे इस संसार
को अनुराग के राह का साधन हो तुम
साधन हो तुम
वृक्ष में अंकुरित ऋतु फल का
मेरे आज और इस समय के पल का
साधन हो तुम
मेरी रचना का, मेरे काव्य का, मेरे गीत का
साधन हो तुम
मेरे हृदय की धड़कन के संगीत का
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