दिल से बात
जन्नत दूंदने की चाह मे,
गुज़रते वक़्त की इस राह मे,
पूछा मुझसे मेरे दिल ने,
क्यों है इतनी रुकावटें तेरी मंजिल मे,
कहता मुझसे चल पीछे मुड़ चलते है,
पुराने शहर के अँधेरे में चल फिर उड़ चलते है,
मुस्कुरा कर मेने ज़वाब दिया,
दिल, तुमने ही तो मुझे ये ख्वाब दिया,
अब तो मौत को ज़िन्दगी से भरना मुझे है,
मेहनत का दरिया पार करना मुझे है,
सारी हद्दो को पीछे छोड़,
अफ़सोस भरी ज़िन्दगी से लड़ना मुझे है,
ऐ दिल, साथ मेरे अब तू भी तो चल,
मिलकर कट जायेंगे ये अफ़सोस के पल,
दोस्ती हमारी तेरी आखरी धड़कन तक निभाऊंगा,
साथ दे तू बस मेरा, तेरे बिना मैं ज़रा भी चल नहीं पाउँगा !
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