क्यूंकि उल्लंघन है स्त्री होना ही।
तुम्हारे वस्त्र उल्लंघन है,
उल्लंघन है तुम्हारा शास्त्र भी।
तुम्हारा हंसना उल्लंघन है,
उल्लंघन है तुम्हारा रोना भी।
तुम्हारा नारीवादी सभ्याचार उल्लंघन है,
उल्लंघन है तुम्हारे विचार भी।
तुम्हारी गली उल्लंघन है,
उल्लंघन है तुम्हारा शहर भी।
तुम्हारी जीत उल्लंघन है,
उल्लंघन है तुम्हारी हार भी।
तुम्हारा गीत उल्लंघन है,
उल्लंघन है तुम्हारी कविता भी।
तुम्हारा जीवन उल्लंघन है,
क्यूंकि उल्लंघन है स्त्री होना ही।
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