रातरानी


प्रेम से लिपटे संगीत मेरे कमरे के आँगन में बजते रहते है,
संगीत से ताल मिलाकर,
जैसी ही तुम अपनी लेखन का मिश्रण उससे करती हो,
ढेर सारे पक्षी मुँडेर पर सभा बना सुनते है। 

छन-छन करती पायल तुम्हारी,
मेरे दिल की बजती धड़कन का आहार सी बन गई है।
तुम्हारे श्वासों की सुगंध रातरानी जैसी हो गई है,
रात के साथ, दिन में भी कमरे में टहलती रहती है।

मेरी किताबों पर धूल जम रही है,
कोरे सफ़ेद पन्ने स्याही से दुश्मनी कर बैठे है,
जैसे ही पढ़ने और लिखने में ध्यान केंद्रित करता हूँ,
क्षण भर में ध्यान, मन और ह्रदय,
सभी तुम्हारे चिंतन में खो जाते है।

नींद से सपनों तक का सफर छोटा हो गया है। 
सपनों में तुम्हें खोजने की अभिलाषा अभी भी जीवित है। 
जीवन भर के मेरे प्रयासों में,
तुम्हें खोजने का यह भी एक प्रयास है मेरा।


 

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