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मैं कौन हूँ?

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मैं कौन हूँ? शायद उस गहरे समंदर का पौधा हूँ, जिसका कोई काम नहीं है,  न उसे कोई खाता है, न उसकी कोई सुगंध है, गहरे नमकीन पानी में,  जब नज़दीक से कोई मछली गुज़रती है, या कोई लहर समंदर की ज़मीन को छूने आती है, बस लहर जाता हूँ, जैसे, एक बच्चा चेहरे पर ख़ुशी का आधा चाँद बना लेता है, खिलौना मिलने पर। शायद मैं वो तारा हूँ, जिसे कोई देखता नहीं,  ध्रुव के एकदम बगल वाला,  कभी कभी चाँद के नज़दीक आ जाता हूँ,  कोई कामना मांग ले, टूटता भी नहीं,  बस मौजूद हूँ,  ढेर सारे तारों के आकाश में,  एक दूध के समंदर की बूँद जैसा। शायद मैं उस माँ का बेटा हूँ,  जो कभी हारी नहीं,  ना ही कभी जीत पाई है,  पर खुश है,  मेरी ख़ुशी देख, या उस बाप की औलाद हूँ, जिसने छुपकर सिनेमा के पैसे दिए,  पहली शराब का घुट पिलाया, या उस शख्स का भाई हूँ,  जो पिता का नकाबपोश है ,  या चेला हूँ उस गुरु का, जो द्रोण तो है, पर मैं एकलव्य नहीं। कौन हूँ मैं? शायद वो हवा हूँ,  जो न ठंडी है न ही गर्म, जो  पत्तियों को हि...