रोने का दिल करता है
रोने का दिल करता है
रोयूं मैं किस काँधे पर
एक था कांधा रोने को
जिसे छोड़ आया मैं शमशान काँधे पर
आम का लिफाफा खोलते ही
आम मैं खा जाता था
दिल करता है अब पूछ ही लूँ
पापा, आम का पैसा कहा से आता था
जलती सुलगती गर्मी में
कूलर के आगे सुलाते थे
मूंछ कट जाने का डर था तुम्हे
फिर भी दाढ़ी मुझे बनाने देते थे
गरीबी का काँटा चुबता था
मुझे और मेरे भाई को
खुशनुमा तरबियत से हमे फूल बना डाला
सम्मान है तुझे और मेरी आई को
रोने का तो दिल करता है
पर कांधा नहीं है रोने को
ज़मीन का टुकड़ा तो में खरीद ही लूँ
पर तेरे जैसा बीज नहीं है बोने को
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