एक बार
खुले नीले आसमान के नीचे,रोना है एक बार
पीपल की ठंडी छाँव में,चैन की नींद सोना है एक बार
एक मुस्कुराता हिरण्मये देख,तारों की माला में पिरोना है एक बार
खुशबूदार फूलों की तलाश में,नन्हा पोधा बोना है एक बार
तेज़ बारिश में,अपने नंगे बदन को धोना है एक बार
कमाया हुआ सारा धन,खोना है एक बार
नंगे पांव को चलती नदी में,कुछ देर भिगोना है एक बार
माशूका का दिया गम,भूलना है एक बार
कबर के ठन्डे बिस्तर पे लेते हुए,यकीन रखना है हमे,ये सब होना है एक बार
(किसी खुशनुमां चौक में बेशर्मी से खड़े होकर चरस का धुंआ उड़ना है एक बार)
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