Posts

Showing posts from March, 2021

आकार

Image
तुम्हें एक आकार दिया है। मित्र कहते है समझाओ, दिखाओ, बताओ। मैं अपनी लिखी कविता का एक भाग सुना देता हूँ, वो तुम्हें आधा देख अपने घर को चल देते है, सोने गहरी नींद में। उस भाग में वो इतना मानसिक शांति पा लेते है, जितना मुझे कुछ वर्ष पहले वर्षावन में आया था। तुम्हें लिखना जैसे ही शुरू करता हूँ, भाषा एक स्थायी साधना में चली जाती है। शायद वो साधना बुद्ध द्वारा भी की गई होगी। क्यूंकि जब भी भाषा लौट आती थी, पहले से स्थिर, शांत और विनम्र ही मिलती है। मुझे तुम्हें ऐसी जगह लिख आना है, जहाँ से पृथ्वी के सभी संसाधन आते है। मनुष्यों द्वारा की गई पृथ्वी-विरोधी गतिविधियों को, अब तुम ही शुद्ध कर सकती हो।