बिरहा का गीत
बिरहा का गीत ऐसा सुनाओ
रो ही पड़े बिछड़ी दो नदियाँ
सुन्न करदे जो बिदाई होती दुल्हन जैसा
वो गीत में सारे अधूरे प्रेम नम हो जाएँ
माँ की धड़कन रुक गई हो ऐसा दर्द दे
वह बिरहा का गीत बटालवी, फिरसे जीवित हो कर गाए
और नुसरत का सुर उसपर संगीत सजाए
मुझे नहीं सुननी अब किसी कवि की कविताएँ
नहीं पड़ने अब प्रेम उपन्यास और पत्र
बिरहा का गीत मुझे पहाड़ बनाएगा
पहाड़ का रोना प्रलय जैसा है
पहाड़ सह जाता है बर्फ़, धुप, वर्षा और कटाई
फिर भी खड़ा रहता है विशाल, अमन को ओढ़ कर
मुझे बिरहा का गीत ऐसा सुनना है
रो पड़े मेरी माँ मेरा दुःख देखकर
और बोले "उसे मैं मनाकर देखूँ"
Behad sundr💓
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ReplyDeleteभावनाओं की एक शांत लहर, जो मन में देर तक गूंजती है।🌊🌊
ReplyDeleteभावनाओं की एक शांत लहर, जो मन में देर तक गूंजती है।🌊🌊
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